Wednesday, December 22, 2021

ज़रा सी रोशनी....

 


ज़रा सी रोशनी भी,

कारगर हो जाती है,

अंधेरे से जीवन में ,

नया उल्लास भर जाती है।

भोर की किरण भी,

फिर जिंदा कर जाती है,

नव जीवन , नव चेतन का ,

प्रवाह कर जाती है।

एक टिमटिमाती लौ,

दहलीज को शोभित कर जाती है,

रहता है यहां कोई,

यह पता बताती है।

किसी की सीख,

कभी यूं छू जाती है,

एक नए जीवन की ओर,

अग्रसर कर जाती है।

- नूपुर अग्रवाल 

No comments:

Post a Comment