Tuesday, December 21, 2021

यह सफर....




अनजान है यह डगर,

चलने का है इरादा मगर ।

एक झूठ ही सही,

है यह वक़्त की चाल नई।

चल पड़े हैं इस सफर,

पार करते हुए कई भंवर।

रहना ना तुम निराश,

लेगें हम मंजिल तलाश ।

भटकेगे कभी,डगमगाऐगे कुछ,

सहरा मिलेगा ,कभी मिलेगा कच्छ ।

हो ही जाएगा पार यह सफर,

मन में हो विश्वास और ललक ।

- नूपुर अग्रवाल 

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