तन्हाई हमें क्या कुछ सीखा जाती है,
इतनी ख़ामोशी में भी कितना कुछ कह जाती है।
अपनों से दूर होने का अहसास चुभाती है,
मगर साथ ही उन्हें और करीब कर जाती है।
खुद को खुदी से भी मिलवाती है,
इस चुप्पी में अंतर्मन का शोर सुना जाती है।
कई बार यह तन्हाई सपने नए बुनवाती है,
कई नई उड़ानों के पंख लगा जाती है।
कभी कभी यह जीवन मंथन कराती है,
इल्म है की कितना कुछ दिखा जाती है।
मेरी तन्हाई तो अक्सर मुझसे लिखवाती है,
राज कई दिल के यूं बयां करा जाती है।
नूपुर अग्रवाल
👍👍
ReplyDelete