ज़िन्दगी के लम्हे गुजर न जाएं,
एक पल तो ठहरो ,
हम ज़रा संभल तो जाएं।
ज़िन्दगी के इस बहाव को रोको,
हाथ से रेत फिसल न जाए।
समय की मझदार बड़ी बेखबर है,
इस मझधार में हम बह न जाएं।
कायनात की करते हो बात देखो,
पानी के बुलबुलों सी उम्र है लाएं।
- नूपुर अग्रवाल
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